बिलासपुर|छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने 10वीं और 12वीं कक्षा की प्री-बोर्ड परीक्षाओं की तारीखें तय कर दी हैं। प्री-बोर्ड परीक्षा 20 जनवरी से शुरू होगी, जबकि प्रैक्टिकल परीक्षाएं 10 जनवरी से शुरू होंगी। इससे छात्रों और शिक्षकों को तैयारी के लिए केवल 10 दिन का समय मिलेगा। इस कम समय के कारण विद्यार्थियों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है।
समय की कमी और चुनाव की चुनौती
इन्हीं परीक्षाओं के बीच, निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का शंखनाद भी हो चुका है। 7 जनवरी के बाद आरक्षण प्रक्रिया समाप्त होते ही चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। इससे स्पष्ट है कि प्री-बोर्ड की परीक्षाएं न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों के लिए भी बड़ी चुनौती साबित हो सकती हैं।
शिक्षकों पर कोर्स पूरा करने का दबाव
स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को 10 जनवरी तक किसी भी स्थिति में कोर्स पूरा कराने का निर्देश दिया है। इसके लिए शिक्षकों के पास अब केवल 11 दिन बचे हैं। इस दौरान चुनाव कार्य के लिए आचार संहिता लागू होने और शिक्षकों की ड्यूटी लगने की संभावना है। आमतौर पर चुनाव कार्य में शिक्षा विभाग के आधे से अधिक कर्मचारियों को लगाया जाता है, जिससे पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी में बाधा आ सकती है।
“मिशन 90+” योजना पर असर
शिक्षा विभाग द्वारा संचालित “मिशन 90+” योजना का उद्देश्य छात्रों के प्रदर्शन को सुधारना है। लेकिन समय की कमी और शीतकालीन अवकाश के कारण यह योजना अधूरी रह सकती है। शिक्षकों का मानना है कि चुनाव ड्यूटी की वजह से छात्रों की तैयारी में व्यवधान आना तय है।
प्री-बोर्ड और बोर्ड परीक्षाओं की तारीखें
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं और 12वीं कक्षा की प्री-बोर्ड और मुख्य परीक्षाओं का टाइम टेबल जारी कर दिया है।
प्री बोर्ड परीक्षा: 20 जनवरी से 29 जनवरी 2025 तक।
10वीं की मुख्य परीक्षा: 3 मार्च से 24 मार्च 2025 तक।
12वीं की मुख्य परीक्षा: 1 मार्च से 28 मार्च 2025 तक।
परीक्षा का समय: दोपहर 12:00 से 3:15 तक।
मुख्य परीक्षा की समय सारिणी नीचे दी दी गईं है
चुनाव का प्री-बोर्ड पर कोई असर नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी टी.आर. साहू ने स्पष्ट किया है कि प्रैक्टिकल और प्री-बोर्ड परीक्षाओं के लिए समय सारणी पहले ही जारी की जा चुकी है। इसे किसी भी स्थिति में पूरा कराया जाएगा। चुनाव कार्य का इन परीक्षाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्री-बोर्ड और मुख्य परीक्षाओं के कार्यक्रम को लेकर छात्रों और शिक्षकों के सामने समय की कमी और चुनाव कार्य जैसी कई चुनौतियां हैं। हालांकि शिक्षा विभाग परीक्षा समय सारणी को सख्ती से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन छात्रों को मानसिक और शैक्षणिक तैयारियों के लिए यह समय कठिन साबित हो सकता है।